kanchan singla

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हे ! मेरे ईश्वर मुझे देना तुम क्षमादान

हे ! मेरे ईश्वर मुझे देना तुम क्षमादान
मेरे किए गए अनगिनत पापों के लिए
सुबह से लेकर रात तक तुम्हें याद नहीं करने के लिए
मेरे द्वारा बोले गए अपशब्दों के लिए
तुम देना मुझे क्षमादान मेरे पापकर्मों के लिए।।

जो मैंने किया हो किसी का अपमान
जो मैंने किसी को पहुंचाई हो तकलीफ़
जो मैंने माता पिता के आदेशों की की हो अवज्ञा
जब मैंने किसी रिश्ते का भी ना रखा हो मान
हे ! मेरे ईश्वर मुझे देना तुम क्षमादान ।।

जब जीवों पर दया नहीं दिखाई हो मैंने
जब किसी जरूरतमंद की मदद नहीं की हो मैंने
जब किसी भूखे को भोजन नहीं दिया हो मैंने
जब किसी प्यासे को पानी पिलाने का सामर्थ नहीं दिखाया हो मैंने
जब भी जान बूझकर किसी के दर्द को नज़रअंदाज़ किया हो मैंने
हे ! मेरे ईश्वर मुझे देना तुम क्षमादान ।।

जब जलन, द्वेष की भावना घर कर गई हो मुझमें
जब प्रेम की भावनाओं को त्याग दिया हो मैंने
जब नफ़रत से अपनी आत्मा को जलाया हो मैंने
जब वासनाओं से मन को कुलसित किया हो मैंने
जब भी किसी का बुरा चाहा हो मैंने
हे ! मेरे ईश्वर मुझे देना तुम क्षमादान ।।

हे ! मेरे ईश्वर मुझे देना तुम क्षमादान 
तुम दंड देना मुझे मेरे किए हर पाप के लिए
छोड़ना ना मेरा हाथ जब भी मैं भटकूं 
जो मैं पकडूं कुमार्ग को मुझे संभाल लेना
मुझे दिखाना सत्य और प्रेम की राह
हे ! मेरे ईश्वर मुझे तुम मुझे अपनी पनाह में लेना ।।

लेखिका - कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -16-Nov-2022

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5 Comments

Haaya meer

17-Nov-2022 04:08 PM

Superb 👌👌🌺

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Sachin dev

17-Nov-2022 11:45 AM

Well done ✅

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Gunjan Kamal

17-Nov-2022 08:55 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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